Wednesday, November 20, 2024
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Ratha Saptami 2024: सूर्य रथ सप्तमी पर करें 5 उपाय, सूर्य के समान चमकेगा भाग्य, मनोकामनाएं होंगी पूरी

सार

हिंदू पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 15 फरवरी सुबह 10 बजकर 12 मिनट से शुरू होगी। तिथि का समापन अगले दिन 16 फरवरी शुक्रवार सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगा। उदयातिथि की मान्यता के रथ सप्तमी शुक्रवार को मनाई जाएगी।

  1. सूर्य नारायण को अर्घ्य
  2. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ
  3. सूर्यदेव के निमित्त व्रत
  4. दान करें
  5. सूर्य गायत्री मंत्र का जप करें

रथ सप्तमी, जो कि अचला सप्तमी के रूप में भी जानी जाती है, हिंदू धर्म में सूर्य पूजा का एक महत्वपूर्ण दिन है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्य देव की पहली किरणों ने पृथ्वी पर प्रकाश डाला था, इसलिए इस दिन को सूर्य देव की विशेष पूजा एवं अर्घ्य दान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

रथ सप्तमी का शुभ मुहूर्त 15 फरवरी को सुबह 10 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर 16 फरवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। इस दिन, सूर्योदय से पहले स्नान करके भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ-साथ, गाय के घी का दीपक जलाना और सूर्य देव को लाल फूल अर्पित करना अत्यंत पुण्यकर कार्य माना जाता है। इस साधना से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली बाधाओं का समाधान होता है।

रथ सप्तमी के दिन अरुणोदय – सुबह 06 बजकर 35 मिनट पर

रथ सप्तमी के दिन अवलोकनीय सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 59 मिनट पर

रथ सप्तमी के दिन स्नान का मुहूर्त – प्रातः 05 बजकर 17 मिनट से सुबह 06 बजकर 59 मिनट तक

इस दिन, सूर्य देव को अर्घ्य देने के समय, तांबे के कलश में पानी, लाल चंदन, लाल फूल और गुड़ का मिश्रण लेकर उन्हें अर्पित किया जाता है। इस प्रकार से सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति का मान-सम्मान बढ़ता है। साथ ही, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भी किया जाता है, जो सौभाग्य और समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन पानी में लाल चंदन, गंगा जल, केसर या लाल फूल डालकर स्नान करने से सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

इस प्रकार, रथ सप्तमी के उपासना और पूजन से व्यक्ति को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में लाभ प्राप्त हो सकता है।

सूर्य गायत्री मंत्र का जप:
1.ऊँ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात्।
2.ऊँ सप्ततुरंगाय विद्महे सहस्त्रकिरणाय धीमहि तन्नो रवि: प्रचोदयात्।

सूर्य गायत्री मंत्र के जाप करने से आत्मशुद्धि, आत्म-सम्मान, मन की शांति मिलती है। व्यक्ति पर आने वाले संकट टल जाते हैं।

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